आज हम इस आर्टिकल में kauwa aur koyal ki kahani in Hindi के बारेमे बात करने वाले है। क्या आपको भी ऐसी पक्षिओ की कहानिया सुनना पसंद है तो आप हमारा *23 Best Moral Story for Students in Hindi पेज को देख सकते है यदि आपको उसमे से कोई कहानी अच्छी लगती हो तो जरूर पढ़े और निचे कमेंट जरूर करे।
अनोखी kauwa aur koyal ki kahani हिंदी में | Kauwa aur koyal ki kahani story
“आपसी विश्वास: साझेदारी की महत्वपूर्णता”
एक जंगल था जिसमे रवि नामक एक कौवा और पायल नामक एक सुरीली कोयल रहते थे। वो दोनों काफी अच्छे दोस्त थे और एक दूसरे के साथ समय बिताना बहुत पसंद करते थे।
जंगल में एक दिन बहोत बारिश हुई सारे पशु-पक्षी बहोत खुश थे। जंगल भी काफी सुन्दर लग रहा था। इस खुशी में रवि और पायल ने भी एक-दूसरे के साथ खेतों में उड़ते हुए दिन बिताने का निर्णय किया।
वो दोनों उड़ते उड़ते बारिश का भी बहोत आनंद ले रहे थे। बहोत समय तक आकाश में उड़ने के बाद दोनों थक के जंगल के कोने पर एक नदी बहती थी वहा तक पहुंच जाते है।
नदी का पानी बहुत गहरा था और जल्दी बह रहा था। रवि की बुद्धि बहुत उच्च थी, लेकिन वह अपनी खुशी में इसे नजरअंदाज कर रहा था। पायल ने रवि से कहा, “दोस्त, हमें सावधानी बरतनी चाहिए, नदी बहुत तेज़ है और हमें इस नदी में नहीं जाना चाहिए।”
रवि ने उसकी बातों को ध्यान में नहीं रखते हुए कहा, “तू तो हमेशा चिंता करती है! मैं तो अपनी बुद्धि पर भरोसा करता हू, मुझ पर भी विश्वास कर!” इस तरह की डींगे हांगते हुए वो नदी में जा रहा था।
पायल ने उसे रोकने की कोशिश की, परंतु वह उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए बहुत गहरे पानी में चला गया।
पानी में जाते ही रवि को पता चल गया था की वो पानी में आ तो गया है लेकिन आसानी से बहार नहीं निकल पाएगा। वो धीरे-धीरे डूबने लगा था। पायल ने जल्दी से बाकि पक्षिओ को बुलाया और जल्द से सबने मिलके रवि को नदी में से बहार निकाला।
बहार निकलने के बाद उसको अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने पायल से कहा की “तू सही थी, दोस्त। मैने अपनी अज्ञानता में भरोसा करते हुए बड़ी गलती कर दी।”
कोयल ने हैरानी में कहा, “दोस्ती में अगर आपसी विश्वास नहीं होगा तो हर रिश्ता कमजोर हो जाता है। हमेशा आपसी समर्थन और भरोसा बनाये रखना चाहिए।”
इस kauwa aur koyal ki kahani से हमें क्या सीखने मिलता है?
“इस कहानी में से हमें ये सिखने मिलता है की, हमें अपनी बुद्धिमानी पर घमंड नहीं करना चाहिए। हमें दुसरो की बात भी सुन्नी चाहिए। आप जिसभी रिश्ते में जुड़े हो उसमे भरोषा होना जरूरी होता है। बिना भरोसे से हर एक रिश्ता कमजोर होता है।”